विभिन्न शैक्षणिक वातावरणों में, बच्चे अपने जीवन के पहले दशक में, द्विभाषिक बन जाते हैं। बहुत बच्चे जन्म से ही दो भाषाएं सीखनी शुरू कर देते हैं (द्विभाषिक प्रथम भाषा अधिग्रहण)। बचपन के शुरुआती समय में, जब बच्चे एकभाषिक होते हैं , तब वे एक दूसरी भाषा डे केयर या प्री स्कूल में सुनने लगते हैं(शुरुआती द्वितीय भाषा अधिग्रहण)। मगर दूसरे एकभाषिक बच्चे जो अपने बचपन के मध्य भाग में हैं, वे सिर्फ तभी कोई दूसरी भाषा सीख पाते जब उनका दाखिला स्कूल में होता है (द्वितीय भाषा अधिग्रहण)। यही वो तत्व है जो दर्शाता है की किस तरीके से विभिन्न भाषा शिक्षण समायोजन द्विभाषिक बच्चों के भाषा शिक्षण के प्रक्षेप पथ को प्रभावित करता है। सभी बच्चे देर सवेर अपनी सामाजिक भाषा बोलने लगते हैं लेकिन वे अपनी असामाजिक भाषा को प्रवाह के साथ नहीं बोल पाते बल्कि कभी कभी पूरी तरह से बोलना बंद भी कर देते हैं। बच्चों और परिवारों का लयबद्ध द्विभाषिकता तब खतरे में पड़ जाती है जब द्विभाषिक बच्चे दोनों भाषाओँ में समानता से उच्चतर प्रवीणता अर्जन नहीं कर पाते। शैक्षणिक संस्था व अभिभावकों द्वारा अपनाई गई वार्तालापों के आचरण, लयबद्ध द्विभाषिकता के उन्नति में एक महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
बचपन में द्विभाषिकता का विकास
Source abstract: Bilingual development in childhood
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